Thursday, January 20, 2011

रावण से हार गया रामचंद्र

रावण से हार गया रामचंद्र
यह कहानी स्वास्थ्य विभाग का एक घिनौना चेहरा है। इसमें एक डाक्टर अपने मरीज से खेलता है जिंदगी तबाह कर देने वाला खेल। नकली दवाओं के सहारे शुरू होती है एक-एक बूंद खून चूस लेने का रावणी प्रपंच,जिसकी परिणति यह कि वह गरीब, बेसहारा मजदूर रही-सही पूंजी  अपनी निजी जमीन भी बेच डालता है और बदले में उसको मिलती है जिंदगी भर तिल-तिल कर मरने की सौगात। वह गंवा बैठता है अपना सबकुछ। तीन-तीन जवान बेटियां।  उन्नीस साल की शर्मिला। सत्रह की फूल तो चौदह की नीलम। सबके सब शादी के लायक। दो लड़के आठ साल का बजरंगी व पांच वर्ष का राहुल, जिन्हें देखनी है अभी पूरी दुनिया। घर में हालात से लड़ती, जूझती खुद बीमार पड़ी पत्नी गंगिया देवी। ऐसे में कौन सुने फरियाद। किससे सुनायें दरिंदगी का अफसाना। जीने के मायने उसके लिये मौन हैं। हौंसला उसके पास नहीं है। उस बेबस, लाचार, हताश मजदूर की सांसें चल रही हैं वहीं गनीमत है। उसकी जिंदगी में झांकने पर अंदर की टीस उभरती है। नाम है रामचंद्र साह। घर  बहेड़ी के सुसारी। इनकी तबीयत पिछले साल बिगड़ती है। श्री साह इलाज कराने पहुंचते हैं बहेड़ा के एक निजी नर्सिंग होम में। यहां कई दिनों तक इनका इलाज चला। जांच दर जांच होते चले गये लेकिन इनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गयी। ब्लड यूरिया व सिरम क्रिटेनाइन की जांच के बाद बहेड़ा के उस रावणी डाक्टर ने इन्हें स्लाइन चढ़ाना शुरू किया। यहां तक कि श्री साह बताते हैं कि उन्हें पानी चढ़ाने के लिये बाध्य, मजबूर किया जाता रहा और जब भी वे विरोध जताते, स्लाइन चढ़ाने से मना करते डाक्टर उन पर न सिर्फ अतिरिक्त दबाव बनाता बल्कि इन्हें किडनी खराब होने की वास्ता, धमकी देकर वह रावण कलयुगी रामचंद्र का बलात इलाज करते रहे। बाद में वहां से भारी-भरकम फीस थमा दिया गया। नहीं देने की स्थिति में उनके और रामचंद्र की बेटियों की शरीर से खून निकाल लेने की धमकी दी जाने लगी। पैसे नहीं हैं तो शरीर का खून बेच लो। रावण के मुख से ऐसा सुनकर श्री साह का कलेजा फट गया। क्या करते बेचारे रामचंद्र। नतीजा, इन्हें जमीन बेचकर व पत्नी के जेवरात को बंधक बनाकर फीस भरनी पड़ी। श्री साह बताते हैं कि नकली दवा व स्लाइन चलने के कारण इनका वजन इस बीच लगातार घटता-बढ़ता रहा। बहेड़ा के उक्त डाक्टर इन्हें बार-बार स्थानीय स्तर पर जांच कराने की नसीहत देते और बदले में इनका शारीरिक शोषण लगातार करते रहे। इस बीच फीस मिल जाने के बाद रावण को लगा कि कहीं रामचंद्र उनके चंगुल से भाग न निकले सो लिहाजा वह अपने दसमुंखी नेटवर्क का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। रामचंद्र पर उस डाक्टर ने पटना के एक निजी अस्पताल में इलाज करवाने के लिये बाध्य करने लगे। थक-हारकर रामचंद्र वहां से भागकर दरभंगा बेता स्थित एक नामी डाक्टर के पास पहुंचे। बकौल श्री साह उस डाक्टर ने इनकी जांच की और तमाम जांच करवाने के बाद रिपोर्ट में इन्हें गलत दवा के इस्तेमाल के कारण परेशानी होने की बात कही। साथ ही तत्काल आराम के लिये कुछ दवा लिखते हुये कुछ दवा जिंदगी भर के लिये दी जिससे श्री साह का वजन काफी घट गया और इन्हें आराम भी महसूस होने लगा। इस बीच जब गलत दवा देने की शिकायत श्री साह बहेड़ा के डाक्टर से करने गये तो उन्होंने गुस्से में आकर बरबाद करने की धमकी दे डाली। कहा, भाग यहां से नहीं तो तेरे पूरे परिवार को तबाह कर देंगे। घर से उठा लेने की धमकी पर भला क्या करते रामचंद्र। श्री साह जो जिंदगी से हार गये थे भला रावण से लडऩे की ताकत कहां से ला पाते। पर उन्होंने हार नहीं मानी। राम ने रावण से बदला लेने की ठान ली थी सो उन्होंने अदालत से एक वकालतन नोटिस रावण को भेजवा दी जिसमें इलाज के दौरान जुल्मों-सितम की कहानी, आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्ट पहुंचाने के लिये हर्जाना देने व जमीन बेचने के लिये दबाव बनाने की शिकायत की है। श्री साह बताते हैं कि अब तो गांव में कोई मजदूरी के लिये भी नहीं बुलाता। बच्चों की परवरिश व बेटियों की शादी कैसे होगी यह भगवान ही जानें। ता उम्र दवा के लिये पैसे कहां से आयेंगे। कौन सुनेगा भला इस गरीब की बात।  इस बीच उन्होंने एसपी से भी मिलकर अपनी आपबीती सुनायी है। कहा है कि कैसे अब भी वह रावण उन्हें जान मारने की धमकी भेजवाता है। इधर, श्री साह के वकील यूएन झा कहते हैं कि इस पूरे मामले में उक्त रावण को वकालत में बेनकाब जरूर करेंगे। मगर आज रावण रामचंद्र पर भारी है। उसके पास धन है इज्जत है बंगला है कार है और रामचंद्र के पास। गरीबी के दलदल में उसकी जिंदगी से जुड़े सवाल माकूल जवाब के लिये खड़े हैं।

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