Tuesday, January 11, 2011

कीर्ति जी आप आजाद है

कीर्ति बड़े क्रिकेटर हैं। क्रिकेट में उनका नाम बहुत दूर तलक है। एक अदद विजेता विश्व कप टीम के सदस्य हैं। क्रिकेट उनकी जिंदगी का हिस्सा है। होना भी चाहिये। उनकी शुरूआत क्रिकेट से है। पर फिलवक्त वो दरभंगा के सांसद हैं। एक बार पहले भी वो यहां का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। यह उनकी दूसरी पारी है। सो, वो क्षेत्र के
विकास के अगुआ हैं। बिजली के बारे में सोचा, केस लड़ रहे हैं लेकिन बिजली की दुर्गति आज भी जनता झेल रही है। खैर इसमें उनका क्या कसूर। वो तो क्रिकेट के लिये बने हैं क्रिकेट के बारे में सोच रहे हैं। इससे पहले भी पहली पारी में उन्होंने क्रिकेट के लिये ही सोचा। यहां के युवा खिलाडिय़ों का चयन कर दिल्ली ले गये प्रशिक्षण देने। अब भला उसमें उनकी क्या गलती कि चयनित खिलाड़ी दिल्ली जाकर मटरगश्ती करने लगे। फिर पता नहीं कहां गये वो खिलाड़ी, कहीं मैदान पर भी दिखाई नहीं पड़े। अब इसमें कीर्ति का क्या दोष? वो तो आज भी क्रिकेट के बारे में ही सोच रहे हैं। लहेरियासराय के पोलो मैदान स्थित नेहरू स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय स्तर के पिच निर्माण में जुटे हैं। आगामी सितम्बर में धोनी, सहवाग और न जाने कितने नामी क्रिकेटर फैंसी मैच के लिये यहां पधारेंगे। आखिर कीर्ति आल बिहार क्रिकेट के अध्यक्ष भी हैं। सो, क्रिकेट प्रेम लाजिमी है। वो नेहरू स्टेडियम में ऐच्छिक कोष से तीन प्रवेश द्वार भी बनायेंगे।
                                  मगर यहां की आम जनता माननीय से कुछ पूछना चाहती है? सुनना-जानना चाहती है? सवाल करना चाहती है? आप पहले क्रिकेटर हैं या सांसद? सांसद पूरे क्षेत्र का सिरमौर एक विकास पुरुष होता है? जिले में तमाम विकासपरक योजनायें रसातल में है? हाल ही में आप ही के मुख से एक दैनिक ने छापा, दरभंगा में सुशासन नहीं दिख रहा? तो भला कौन लायेगा यहां सुशासन? आप के जिम्मे तमाम विकासात्मक योजनायें हैं जो आईने की तरह झलकने, चमकने को बेचैन है? यहां के लोग आपसे ज्यादा की उम्मीद पाले हैं? लेकिन आप भी उसी के पीछे भाग रहे हैं जिसके पीछे देश ही नहीं पूरा विश्व बंधक बनते जा रहा है। खिलाड़ी करोड़ों में बिक रहे हैं। जब खिलाड़ी आम उत्पाद की तरह बिकने लगे तो खेल का क्या भला होगा यह तो आप भी सोच, समझ सकते हैं। आप अपने दौर में तो कभी नहीं बिके लेकिन...? अब जब क्रिकेट का अस्तित्व क्रमात संकट के दौर में पहुंचता दिख रहा है उसका राष्ट्रीय समाधान की दिशा में आप चुप क्यों बैठे हैं? आप क्रिकेट के प्रख्यात कामेंटेटर भी रहे हैं। कई चैनलों पर दिखते रहते हैं कभी दरभंगा के बारे में भी तो कामेंट्री कीजिये। यहां के बारे में देश-विदेश को बताइये? विकास जिससे दरभंगा की माटी अब भी अछूती हो, औद्योगिक प्रागंण सूना पड़ा हो, पेयजल, बिजली के लिये त्राहिमाम हो, देहाती स्कूलों से मास्टर साहब का वास्ता खत्म हो चुका हो, जंगलों के बीच आपके क्षेत्र में स्कूल भवन विराजमान हों जहां पहुंचने से पहले आपके सुशासन के हाकिम को पसीना छूटने लगे, मिड डे मिल बच्चों के बदले शिक्षक व पदाधिकारी चट कर रहे हों, राशन-केरोसिन के बिना गरीबी मुंह बाये खड़ी हो... विकास के लिये आप स्वतंत्र हैं, जहां मन हो खड़ा कर दीजिये विकास... क्रिकेट के बारे में भी सोचना कोई बुरा नहीं है।
                      मगर उसके बारे में कौन सोचेगा जो हमसे, हमारी संस्कृति से हमारे समाज से कट चुका है या कटने के कगार पर है। यहां की प्रतिभायें मंच को लालायित हैं। फुटबाल, कबड्डी में भी आगे बढऩे की हममें हिम्मत, हौंसला है। यहां की बालायें बाक्सिंग में लोहा मनवा चुकी हैं। उन्हें तराशे, संवारेगा कौन? आगे बढ़ाने की महती जवाबदेही कौन संभालेगा?
                  कीर्ति जी आप आजाद हैं। स्वतंत्र हैं कुछ भी सोचने-करने के लिये। आप माहिर हैं, सांत्वना हर खेल को दे रहे हैं। आप वही कर रहे जिससे आपको लग रहा कि दरभंगा का विकास, भला होगा। मिथिलांचल का सिर गर्व से नब्बे डिग्री कोण पर होगा। मुबारक हो आपको। मगर सोचिये ये नाइंसाफी क्यूं ... ?    

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