Wednesday, January 12, 2011

लगे रहो विधायक भाई

         पूर्णिया के विधायक केसरी हत्याकांड की गुत्थी सुलझेगी यह सबसे बड़ा सवाल है। जांच सीबीआई के हाथों में है। भाजपा की मुश्किलें भी आसान होती नहीं दिखती। सरगर्मी के बीच वरिष्ठ भाजपा नेतृत्व की छटपटाहट साफ है। राजनाथ सिंह पटना से गये नहीं कि नितिन गडकरी प्रदेश की राजधानी पहुंच गये। आखिर साख, इज्जत का सवाल है तो मौका भी है। बहाना सीएम की माता के निधन पर उनसे अनौपचारिक मुलाकात का लेकिन प्रतिष्ठा पार्टी को दागदार होने से बचाने का। कारण, पहले खुद को नपुंसक कहने वाले विधायक पर यूपी में शिकंजा गहराता जा रहा है। बात बांदा के विधायक पुरुषोतम द्विवेदी की हो रही है। सत्रह साल की लड़की से पहले रेप किया और बाद में खुद को नपुंसक कहने लगे। शर्म की सीमा होती है। सो अब बेशर्मी झेल रहे हैं। सीबीसीआइडी ने द्विवेदी को शीलू निषाद नामक लड़की से रेप करने का आरोपी ठहरा दिया है। अब यही सोच, दहशत भाजपा खेमे में है। कहीं यही हाल केसरी हत्याकांड की भी न हो जाये। जांच चलेगी तो परिणाम तो निकलेगा ही। हालत से चिंतित भाजपा के शीर्ष नेता पटना पहुंच रहे हैं। प्रदेश के उपमुखिया की बात पर हो न हो मुखिया जी ध्यान न दें लेकिन उपमुखिया के परिवार के कोई बुजुर्ग आयें और मुखिया जी उनकी बात न सुनें थोड़ा अटपटा जरूर लगता है। नीयत भी उन अभिभावकों की साफ है। रूपम पाठक की चादर में छुपे उस नस्तर के समान जो केस को किसी की भी पेट में घुसेर दें या फिर आरूषि-हेमराज हत्याकांड की तरह फाइल ही बंद हो जाये। क्योंकि साहब, अब मामला विधायकों की दबंगई का है। सोनबरसा में पूर्व विधायक सीता राम महतो के घर डकैत पहुंच जाते हैं। पुलिस को फोन लगायी जाती है। थाना में रिंग होती है लेकिन पुलिस को सुनाई नहीं पड़ती। आखिर सुशासन की सरकार है। यहां तो क्राइम कंट्रोल में है तो फिर फोन उठाने की जहमत क्यों? सुशासन में सबको बोलने का अधिकार है, छूट है। ऐसे में सोनबरसा सुरक्षित विधान सभा क्षेत्र के महादलित वर्ग के जदयू विधायक रत्नेश सदा का रोब वहां के सरकारी सेवकों को नागवार गुजरे तो हैरानी कैसी। मुसहरवा कह डाला विधायक जी को। बात वहां के डीएम से लेकर प्रदेश के सीएम तक पहुंच गयी। अब कमेटी बनेगी, सच का पता लगाया जायेगा, कार्रवाई होगी?
                           बात साफ है मेरे भाई। अब विधायक जी मुन्ना भाई नहीं चुलबुल पांडेय के किरदार में हैं। लड़की देखी फिसल गये। भले ही इसमें लड़की के बाप की जान क्यों न चली जाये विधायक जी मनमर्जी करेंगे हीं। अब मुंगेर परबत्ता के राजद विधायक हैं अपने सम्राट चौधरी। पिता हार गये चुनाव तो गलती का एहसास भी तो बेचारी जनता ही करेगी। आखिर क्या करते चौधरी साहब दिखा दी थोड़ी सी दबंगई। पिताजी शकुनी चौधरी को वहां की जनता ने नकारा सो वो पिटेंगे हीं।  अवैध रूप से सायरन बजाते लखनपुर के रास्ते में शहीद चौक पर सम्राट बाबू पहुंच गये समर्थकों के साथ और कर दी एक वोटर की जमकर पिटाई। दोनों ओर से कहा-सुनी पुलिस अब सुनती रहे लेकिन फिलहाल चौधरी साहब का कलेजा तो ठंडा हो ही गया है। दरभंगा के नगर विधायक हैं संजय सरावगी। भाजपा कोटे से दोबारा भारी मतों से जीते हैं। ये जनाब भी किसी से कम नहीं। नो इंट्री में गाड़ी घुसा दी। पुलिस वाले ने रोका तो बन गये चुलबुल पांडे।
                          खैर, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की दुविधा लाजिमी है। नेता गुपचुप वहीं कर रहे हैं जिसके लिये वो जाने जाते हैं। पूर्णिया के बैंकों में रूपम के एकाउंट टटोले जा रहे हैं। राशि जमा करने का खेल भला कौन खेल रहा था? अंदरखाने यह बात भाजपा को हजम नहीं हो रही। केसरी के केस में दम तो है। मगर रूपम के बारे में सोचिये। लाल कोठरी में उसकी हालत नाजुक बनी है। बाहर, बेचारी मां बेदम है। 

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