Friday, October 28, 2011

ये डर्टी गेम


ये डर्टी गेम

पोस्टेड ओन: 7 Sep, 2011 जनरल डब्बा में
महिलाएं शुरू से ही बला रही हैं। कभी पुरुषों को अपनी खूबसूरती पर नचाया कभी ऐसी अदा, जलवे बिखेंरी कि हो गए मर्द खुद फिदा। लूट गए, दीवानगी की हदें तोड़, बहक गए। वैसे, प्यार, सेक्स व धोखा की कहानी भी पुरानी ही है। दिल देने के बाद जान देने वाले भी समाज में कम नहीं हैं। वैसे सेक्स, फिल्मों से लेकर चाय दुकानों तक खूब बिक, खरीदी जा रही हैं। चाय बनाने वाली अगर औरत हो तो फिर उस चाय की टेस्ट पूछिए मत, चीनी कम होने पर भी पूरी मिठास की गारंटी। अब देखिए ना, लोग अपने दोस्तों, यारों की ब्लू पिक्चर अपने पास रख रहे हैं। स्ट्रीपिंग भी करते हैं और मनपंसद पार्टनर मिला तो फिर बिंदास बोलने से भी नहीं कतराते। यही वजह है कि देश में नाबालिग वेश्याओं की संख्या बढ़ रही हैं। वैसे यह बात अब सभ्य समाज के लिए शर्म की श्रेणी में नहीं आती। 28 लाख वेश्याओं में से 36 फीसदी वैसी हैं जिन्हें सेक्स के लिए भरपूर नहीं माना जाता, लेकिन ये वेश्याएं हैं और उनका स्वादन रईस, धनाढ़्य परिवार के बिगड़ैल खूब चाव से कर रहे हैं। सवाल है, जब शाहरूख जैसे शख्स बिपाशा व डिनो मारिया का सेक्स क्लिप फुर्सत के क्षणों में देखते व बांटते हैं तो आम आदमी तो आज शोहरत, पैसा, शराब के साथ सेक्स ही परोस व खा रहा है। महिलाएं जो सबसे बड़ी बम साबित हो रही हैं, सिर्फ झेंप, मुस्कुरा भर रही हैं, गोया आग खुद गरमी चाहती हो। जैसे वह सबकुछ मनमर्जी से करने को बेताब हों। शराब खुद पीने-पिलाने को बहक रही हों, तो भला, पुरुष कहां पीछे रहने वाले, मैन फोर्स लेकर पहले से मुस्तैद दिखते हैं। अवैध संबंध हर रोज बनते-बिगड़ रहे हैं। कहीं पकड़े गए तो विरोध, नहीं तो स्वीकार्य। पहले शादी-ब्याह अभिभावकों की मर्जी पर ही होती थी। समय बदला, लड़की देखने का रिवाज चला। फिर समय बदला, लड़के भी देखे जाने लगे। फिर समय बदला, जन्म कुंडली मिलान के बाद शादी होने लगी। अब फिर समय बदल गया है। अब लड़की वाले मर्दाना ताकत भी देखने लगे हैं। कहीं बाद में तलाक लेने की नौबत न आ जाए। पत्नी को संतुष्ट कर पाओगे पहले सोच लो, नहंी तो बाद में जग हंसाई भी होगी और पत्नी का वियोग, तलाक भी मिलेगा। अब पत्नी पहले की आदर्श नारी नहीं रहीं कि पति की नामर्दगी पर कुछ न बोले। बांझ होने का कलंक झेले। अब पता लगाना मुश्किल, बेटा किसका है। घर से निकली नारी, शाम तक दफ्तर में रहे, होटलों में बॉस के साथ घूमे, रात-रात भर प्रोजेक्ट बनाएं, तो फिर उससे उम्मीद किस बात की। टाइम नहीं है पति के लिए। आज की नारी, अपना भी तन उभार रही हैं और पति को भी मालिश की सलाह दे रही है। सब कुछ देखभाल कर अपने जीवन साथी का चुनाव, इस्तेमाल कर रही हैं। पति को प्रोडक्ट बनाने से भी इन्हें गुरेज नहीं। साफ कहती हैं, पत्नी को यौन सुख नहीं दे पाए तो हर्जाना दो। पहले रिंग फिंगर दिखाओ तब इनगेजमेंट रिंग डलवाओ। आज की बालाएं, जीवन साथी के बाएं हाथ की अनामिका अंगुली की लंबाई नाप रही हैं। उन्हें देख, परख रही हैं, ताकि यौन सुख में कोई बाधा, खलल बाद में न पड़े। पुरुषों की अनामिका अंगुली की लंबाई जितनी ज्यादा होगी उनमें टेस्टोरेन यानी सेक्स हारमोन का स्तर उतना ही ज्यादा होगा। यही सोच, समझकर नायक की तलाश और बाद में शादी कर रही हैं आज की नायिकाएं। पावर कैप्सूल के साथ मालिश की तरह-तरह दवा बाजारों में है, जो पुरुषों के लिए बेचारगी से कम नहीं, औरत ललचा रही हैं और मर्द भूख शांत करने के लिए नुस्खे आजमा रहे हैं। लंदन में 21 साल के वैवाहिक जीवन में पत्नी को पर्याप्त यौन सुख नहीं देने पर वहां की अदालत ने जीन लुईस को कई हजार पाउंड का हर्जाना देने का आदेश दिया। जाहिर है,आज की युवतियां कैरियर के साथ-साथ सेक्स को भी सुरक्षित, भरपूर मजा लेने को आतुर हैं। फेसबुक पर जो तस्वीरें आपके पास आती, दिखती होंगी, क्या मुझे दोस्त बनाओगे, उस तस्वीर की नग्नता व चरित्र आपको उकसा कर ही छोड़ेंगे। यही वजह है कि घर के अंदर जवान होती लड़कियां भी सुरक्षित नहीं दिख रहीं। अपने ही उसे कामुकता का पाठ पढ़ा-सीखा रहे हैं। कहीं नौकरानी हवस का शिकार हो रही हैं, कहीं अवैध संबंध का विरोध करते वृद्ध मारे जा रहे हैं। हाल ही में बेनीपट्टी में एक अधेड़ की हत्या महिलाओं ने इस वजह से पीट-पीटकर कर दी, कि उसने एक जवान लड़की को गांव के ही कुछ छोरों के साथ आपतिजनक स्थिति में देख लिया। ये महज, समाज का एक चेहरा है, दूसरा स्याह सच और भी भयानक है जहां खुद एक औरत अपने जिस्म की गरमी से पुरुषों को ललचा, रिझाती दिखती है। भला कैसे हो सकता है, 25 मिनट की डीवीडी में लोग अपनी जिंदगी की फिलास्पी लिख दे। हां मुमकिन है कि उस 25 मिनट की डीवीडी आपके अंदर, नसों की छटपटा, सिहरन, झुनझुनी एक ऐसी सनसनी भर दे जिससे आपकातन-मन दो मिनट बाद शांत हो जाए। शिल्पा के बाद बिपाशा ने जो डीवीडी लांच की है, शायद उसका फलसफा यही है। सेक्स जगाओ, नारी सौंदर्य का राज बताओ। अखबारों में छपते विज्ञापन, टीवी पर खुलापन, प्रचार के बहाने जिस्म की पैमाइश, रजामंदी के लिए साफगोई ललचाहट परोसने और ये कहने कि हर एक के लिए फ्रेंड जरूरी होता है। ये डर्टी गेम अब समाज का एक अंग, समय की मांग बन गया है। महंगाई की इस दौर में पति अगर ये सलाह दे कि महीने में डेढ़ सौ ग्राम लिपिस्टक तुम लगा जाती हो, तो पत्नियां यह कहने से गुरेज नहीं करती कि उसमें से आधा तुम चाट जाते हो। समय के कदम सेक्स की ओर बढ़ गए हैं, महिलाएं अब पहले से ज्यादा मुखर होती सेक्स का मजा लेने से कतराती नहंीं बल्कि इसको इनज्वॉय कर रही हैं, चाहे वो शादीशुदा हो या फिर…। कोई हर्ज नहीं।

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28 प्रतिक्रिया
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नवीनतम प्रतिक्रियाएंLatest Comments

bluetbalk के द्वारा
October 27, 2011
रोचक जानकारी के लिए धन्यवाद
    manoranjanthakur के द्वारा
    October 27, 2011
    आपको भी बहुत साधुवाद
संदीप कौशिक के द्वारा
September 8, 2011
कड़वा सच…..बहुत अच्छे से शब्दों में ढाला है आपने !
अच्छी पोस्ट के लिए आपको साधुवाद ।
    manoranjan thakur के द्वारा
    September 8, 2011
    श्री संदीपभाई सराहना के लिए बहुत बधाई
Tamanna के द्वारा
September 8, 2011
मनोरंजन जी, आपका इस लेख में पूरी महिला जाति को निशाने पर रखा गया है. जो मुझे किसी भी रूप में सही प्रतीत नहीं होता., आप कुछ महिलओं के किए की सजा समस्त नारीयों को कैसे दे सकते हैं. आपका यह कहना की आज की महिलाएं अभद्र आचरण और शारीरिक इच्छाओं के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक हैं, बेहद चिंतनीय है. आगे आपकी सोच है. धन्यवाद
http://tamanna.jagranjunction.com/2011/09/08/list-of-vips-in-tihar-jail/
    manoranjan thakur के द्वारा
    September 8, 2011
    किसी को ठेश पहुचना इरादा नहीं है बस वही कुछ जो समाज के सामने है वही है आप की भाबना से सहमत हूँ आभार
Pawan Thakur के द्वारा
September 8, 2011
मनोरंजन भाई
आप का यह व्यंग आने वाले समय का मार्ग दर्शक है
पवन ठाकुर
    manoranjanthakur के द्वारा
    September 8, 2011
    बहुत धन्यवाद पवन जी
mparveen के द्वारा
September 8, 2011
मनोरंजन जी नमस्कार,
आपका विषय बहुत ही नवीन है …. ऐसा हर जगह हो रहा है कुछ लोग इसको सबके सामने करते हैं और कुछ लोग इसे सबसे छुप कर करते हैं पर करते हैं .. पर अकेली औरत ही इसके लिए जिमेदार नहीं है ……
अपने समाज में फैली बीमारी का जिक़र किया है जो दिन प्रतिदिन बढती ही जा रही है …
    manoranjanthakur के द्वारा
    September 8, 2011
    सही कहा धन्यवाद
surendra shukl bhramar5 के द्वारा
September 8, 2011
प्रिय मनोरंजन जी करारा व्यंग्य समाज के बिगड़े हालात पर स्थिति सचमुच चिंतनीय है अद्भुत नज़ारे जैसा की सब आप ने अपने लेख में लिखा है दिखाई दे रहे समय की मांग तो ये नहीं है लेकिन हम देश को गर्त में धकेलते जा रहे भारत की संस्कृति को धता बता रहे ….सुन्दर लेख
सेक्स जगाओ, नारी सौंदर्य का राज बताओ। अखबारों में छपते विज्ञापन, टीवी पर खुलापन, प्रचार के बहाने जिस्म की पैमाइश, रजामंदी के लिए साफगोई ललचाहट परोसने और ये कहने कि हर एक के लिए फ्रेंड जरूरी होता है। ये डर्टी गेम अब समाज का एक अंग, समय की मांग बन गया है। महंगाई की इस दौर में पति अगर ये सलाह दे कि महीने में डेढ़ सौ ग्राम लिपिस्टक तुम लगा जाती हो, तो पत्नियां यह कहने से गुरेज नहीं करती कि उसमें से आधा तुम चाट जाते हो।
    manoranjanthakur के द्वारा
    September 8, 2011
    बहुत बहुत आभार सराहना के लिए
Santosh Kumar के द्वारा
September 8, 2011
आदरणीय मनोरंजन जी ,..आपके अंदाज में सामाजिक बीमारी को पढ़ना मनोरंजक तो है ही ,..सोचने पर विवश भी करती है ,..साधुवाद
    manoranjanthakur के द्वारा
    September 8, 2011
    आपने सराहा बहुत सुक्रिया
chaatak के द्वारा
September 7, 2011
“बेनीपट्टी में एक अधेड़ की हत्या महिलाओं ने इस वजह से पीट-पीटकर कर दी, कि उसने एक जवान लड़की को गांव के ही कुछ छोरों के साथ आपतिजनक स्थिति में देख लिया।”
नज़रों ही नज़रों में गिला है, हम भी चुप और तुम भी चुप!
दैहिक सुख की कभी न तृप्त होने वाली लालसा की सभी विमाओं पर नज़र डालती इस पोस्ट को पढ़कर गर्त में जाती मानवता के स्पष्ट दर्शन होते हैं| इन सभी समस्याओं पर विचार करना ही श्रेयस्कर होगा|
अच्छी पोस्ट पर हार्दिक बधाई!
    manoranjanthakur के द्वारा
    September 8, 2011
    आप की सराहना पर बहुत बहुत साधुबाद
rajkamal के द्वारा
September 7, 2011
अब जब पहले जैसी खुराके और हाजमे नहीं रहे तो
फिर शक्तिवर्धक दवाइयों और विटामिनों का ही सहारा है ……
नहीं तो पडोसियो की बल्ले -२ ……
सच्चाई को परोसती हुई मजेदार पोस्ट के लिए मुबारकबाद आदरणीय मनोरंजन जी !
:) :( ;) :o 8-) :|
:| 8-) :) :o ;) :(
    manoranjan thakur के द्वारा
    September 7, 2011
    श्री राजकमल भाई एक बार फिर आप को तहे दिल से सुक्रिया धन्यवाद
nishamittal के द्वारा
September 7, 2011
हमारे समाज के अँधेरे पर रौशनी डालती पोस्ट.
    manoranjan thakur के द्वारा
    September 7, 2011
    आप की प्रतिक्रिया ने हौसला बढ़ाने का कार्य किया है बहुत बहुत साधुबाद
alkargupta1 के द्वारा
September 7, 2011
हमने अपनी सभ्यता व संस्कृति को अश्लीलता व असभ्यता की अँधेरी गलियों
में कहीं विलुप्त कर दिया है….आज के समाज की सच्चाई का बहुत सही चित्रांकन
किया है !
    manoranjan thakur के द्वारा
    September 7, 2011
    आपने सराहना कर मार्गदर्शन किया है बहुत बहुत थैंक्स
akraktale के द्वारा
September 7, 2011
मनोरंजनजी महिलाओं पर दोषारोपण ठीक नहीं, कपडों के अंदर की
हकीकत सब जानते हैं. इन्टरनेट यूजर्स चार्जेस कम होना, पार्लर पर
सरकार का वास्तविक नियंत्रण ना होना जैसे कारण इस बिमारी के लिये
जवाबदार हैं.वक्त के साथ चलना है तो ढलना होगा,मगर किसी भी सुरत
में फौजी के पीठ पर लगी गोली शोभा नहीं देगी, अपने आदर्शों की रक्षा
के लिये इतना तो करना ही होगा.
    manoranjan thakur के द्वारा
    September 7, 2011
    मे आपकी भावना से सहमत हूँ धन्यवाद
वाहिद काशीवासी के द्वारा
September 7, 2011
मनोरंजन जी,
सब पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण का नतीजा है। जो हम हैं वो रहना नहीं चाहते और जो हम हो नहीं सकते वही बनना चाहते हैं। इस दौड़-भाग में हम अपनी असलियत को भूलते जा रहे हैं। वर्तमान समाज की सच्चाई दिखाते एक बढ़िया लेख के लिए आभार,
    manoranjan thakur के द्वारा
    September 7, 2011
    श्री वाहिद भाई बहुत बहुत आभार
abodhbaalak के द्वारा
September 7, 2011
मनोरंजन जी
आपके इस डर्टी गेम ने बड़ी ही डर्टी पिक्चर दिखाई है जिसे देख कर भयभीत होना …..
इसमें कुछ हद तक तो सच्चाई है ही, पर अभी समाज पूरी तरह से ऐसा नहीं हुआ है ये मेरा मानना है …..
इश्वर करे की बदलाव …………
http://abodhbaalak.jagranjunction.com/
    manoranjan thakur के द्वारा
    September 7, 2011
    बहुत सही कहा धन्यवाद श्री अबोध बालक जी