Saturday, February 19, 2011

चुलबुल पांडेय लायेगा वल्र्ड कप

भाई, जब से अपनी मुन्नी रिक्शे पर सवार हुई है रिक्शे वालों की तो मानो लाटरी खुल गयी। अब कलतक जो रईस शहजादे रिक्शे वालों को डर्टी मैन कहकर सवारी करने में तौहीन समझते थे अब पूरे खुले तौर पर हूड को हटाकर, उठाकर बदनाम होने लगे हैं रिक्शे की सवारी करके। इतना ही नहीं, रिक्शे वाले डिमांड में भी हैं। सो, साफ तौर पर उन्होंने माही से कह दिया-साहब, आप पर भरोसा है कि अबकी टीम इंडिया को आप बदनाम नहीं होने देंगे और वल्र्ड कप हम रिक्शा पर ढो कर लायेंगे सो हम ढाका चलते हैं आपको बैठाकर। वरना क्रिकेट आज जिस दलदल में है उसमें रिक्शा चलाना बहुत मुश्किल है साहब। कितनों को हम लाद सकेंगे। सट्टेबाज, मैच फिक्सर सब हमारे रिक्शा पर ही आंख गड़ाये है। क्रिकेट को साहब आप जैसे लोग ही स्टे ऑन खिला सकते हैं। अरे साहब, इससे तो बढिय़ा अपनी मुन्नी है। कम से कम डार्लिग के लिये ही तो झंडू बाम हुई लेकिन आजकल तो साहब ये बीसीसीआई वो क्या कहते हैं आईसीसी सबको साण्डहा आयल ही चाहिये। देखिये माही बाबू, हम रिक्शा वाले जरूर हैं लेकिन हैं एकदम खांटी देसी, शुद्ध, असरदार। हमरे खून में देश की आन-बान व शान है। हम शिव सैनिक नहीं हैं कि आपको लगड़ी भी मारेंगे और मरहम भी लगायेंगे। माही को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। सो उसने वीरू को आंख मार दी। अब वीरू को तो जानते ही हैं आप साहेब। एकदम खन्नास शोले के ही वीरू बन गये लगे टॉस उछालने। कॉलर खड़ा कर लिया दबंग स्टाइल में। दोनों हाथ कमर पर। क्यों वे रिक्शा वाले क्या बिगाड़ा है तेरा शिव सेना वालों ने। क्यों उसे टोपगन बनाने पर तुले हो। अगर मास्टर ब्लास्टर ने सून लिया न तो जिंदगी भर आस्थमा प्लस खाते रहोगे। तब तक भच्जी भी कूद पड़े। अबे नवपुरुष टेवलेट तूसी को पता है तू क्या बोल रहा है। रिक्शा वाला जोर से झल्लाया और धीरे से फुसफुसाया मैं चुलबुल पांडेय क्या सुना चुलबुल पांडेय। एक बार जो कमीटमेंट किया उके बाद मैं अपने आप की भी नहीं सुनता समझे। एक तो धमकी देते हो ऊपर से
दुआ भी करते हो। अबे वो क्रिकेटरों वो तो मैंने माही से कमीटमेंट कर लिया था कि रिक्शे से ढाका लायेंगे सो लेकर आ गया वरना मैं तो तुम लोगों का मुंबई में दो अप्रैल को इंतजार करता। कान से मोबाइल हटाकर सुन लो, मुंबई पहुंचते ही शिव सैनिकों से जाकर कह देना ये दुआ और धमकी एक साथ देना बंद करे। माही को कुछ समझ नहीं आ रहा था। रिक्शा वाला मुंबई ये शिव सैनिक आखिर वह कहना क्या चाह रहा है। माही ने वीरू से  कहा, अबे पूछ न यार। वीरू एकदम शांत होकर पूछता है, हे चुलबुल पांडेय नुमा मेरे रिक्शा वाले भाई ये माजरा क्या है? रिक्शा वाला भी उसी अंदाज में धीरे से कहा वीरू बच्चा मत बन। माही से कह दे वल्र्ड कप घर रोज-रोज नहीं आता। शिव सैनिकों की चाल हम गरीब, अनपढ़ के दिमाग की बत्ती जला दी है। अरे पाक को धमकी भी दे रहो हो अगर वो फाइनल में पहुंचा तो मुंबई के वानखेडे में मैच नहीं होने देंगे और ये भी कामना कर रहे हो कि पाकिस्तान फाइनल में पहुंचे। अबे पाक फाइनल में पहुंचेगा तब ना जताओगे विरोध। तब तक वीरू का भेजा फ्राई हो चुका था। माजरा एकदम फेयर एंड लावली व मार्क रब की तरह साफ हो चुका था। बोला- भच्जी ये चुलबुल तो कमाल हे रे-चक दे इंडिया। गुड लक इंडिया मिलेंगे मुंबई में।  

1 comment:

Anonymous said...

शुभकामनाएं