Thursday, January 13, 2011

आदेश है, बलात्कारी बनों

आदेश है, बलात्कारी बनों
राज्याभिषेक हो चुका है। कलयुग सत्ता में है। पूरे देश में अब उसी का शासन, तंत्र है। उसका आदेश, निर्देश,
कानून, व्यवस्था सब मान्य, नियमानुकूल है। न्याय वही देगा, फरियाद वही सुनेगा। जनता दरबार उसी की लगेगी। जो नहीं माना, इनकार किया समझो गया काम से। खामोश, बोलती हमेशा के लिये बंद। खैर, कलयुग के बारे में और ढ़ेर सारी जानकारी बाद में। उसके बारे में और बातें करेंगे। पहले एक बात और।
                          मान लीजिये। राजीव गांधी फिर से जिंदा हो उठे हों। अब राजीव जिंदा होंगे तो जाहिर, स्वभाविक है वो देश के प्रधानमंत्री होंगे। तेज-तर्रार युवा प्रधानमंत्री। मजा आ जायेगा। सत्ता पूरा तंत्र, कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका। कानून-व्यवस्था। पुलिस। सब कुछ उन्हीं के आदेश-निर्देश पर नाचेगा।
                           एक दिन सुबह का अखबार पहुंचता है। तमाम चैनलों में खबरें ब्रेकिंग न्यूज की तरह फ्लैश हो रहीं हैं। अफरा-तफरी मची हैं। सड़कें सूनसान। सबके सब घरों में छुपे हैं। न्यूज ही न्यूज। समाचार पूरे देश को आग में झोंकने के लिये काफी है कि अब रात को ही सब काम करेंगे। सरकारी दफ्तरों में रात को ही काम-काज होंगे। स्कूलों-कालेजों में रात को ही पढ़ाई होगी दिन में छुट्टी। बसें-ट्रेनों की सवारी रात को ही होगी। रात के बाद ही आवाजाही। दिन में यातायात सड़कों पर बंद। पुलिस दिन भर सोयेगी रात को ही पहरा देगी। लोग भी दिन भर सोयेंगे और रात भर दफ्तरों में कार्य निबटायेंगे। दिन भर कोई काम नहीं होगा। खबर फ्लैश होते ही पूरे देश में हाहाकार मचा है। स्वंयसेवी संस्थायें, महिला संगठन, बुद्धिजीवी, आम लोग, हर नागरिक सब के सब आंदोलित हो उठे हैं। सभी चिंतित, आक्रोशित हैं। प्रकृति के साथ यह खिलवाड़। भला रात भर काम, दिन भर आराम। यह नाजायज है। यह संभव नहीं है। विरोध के स्वर मुखर होते जा रहे हैं। लोग सड़क पर उतर आयें हैं। बसों-रेलों को निशाना बनाया जा रहा है। सरकारी दफ्तर जलाये जा रहे हैं। हर तरफ तोडफ़ोड़, आगजनी।
                            सरकार बार-बार बयान दे रही है। सबको रात भर सुरक्षा की गारंटी। पुलिस रहेगी चप्पे-चप्पे पर तैनात। तमाम आश्वासन। शांति बनाये रखने के लिये अपील हो रही है लेकिन लोग भला कहां मानने वाले। आंदोलन उग्र ही होता जा रहा है। काम-काज ठप। लोग परेशान। खाने के सामान नहीं मिल रहे। लोग भूख से बिलबिलाने लगे हैं। लेकिन सरकार मानने को कुछ भी तैयार नहीं। आदेश है कि रात को काम करना होगा सो करना होगा। इस निर्देश पर सरकार टस से मस नहीं। 
                            थक हार कर कुछ लोग रात को ही काम करने पर राजी होते हैं। पर कुछ लोग अब भी आदेश मानने को तैयार नहीं। यह अन्याय है। तानाशाही है। सत्ता का दुरूपयोग है। विरोध का झंडा थामें कुछ लोग सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं। पुलिस पहुंचती है। धीरे-धीरे सब के सब प्रकृति प्रेमी, सच बोलने वाले, झूठ का विरोध करने वाले, न्याय की बात करने वाले, सच्ची बात कहने वाले। सब के सब सूली पर लटकते चले गये। सलाखों के पीछे चले गये। घर परिवार से दूर होते चले गये। कालकोठरी में उनकी जिंदगी, सच बोलती आवाज दम तोड़ती, टूट गयी। शरीर का खून सूख गया। पथरा गयी आंखें। होठ पर ताले जड़ गये। क्योंकि यही सरकारी आदेश है। मानों या कालकोठरी में सड़ते रहो जीवन भर।
                            अब आइये यहां। जहां अभी हम जी रहे हैं। आपसे बतिया रहे हैं। यहां कलयुग का शासन है। यहां के डीएम कलयुग के हैं। सीएम कलयुग के हैं। चमचा-बेलचा, दलाल कलयुग के ही हैं। कलयुग का राज्य चल रहा है। दरबार लगी है। दरबारी, मंत्री, नौकर-चाकर आदेश की प्रतीक्षा में है। दरबार में सन्नाटा पसरा है। तभी  कलयुग आदेश देता है- बलात्कारी बनों। दुराचारी-पाखंडी बनों। भाई का खून करके आओ। संपत्ति के लिये मां-बाप का कत्ल करो। समलैंगिग बनो। दूसरे की जमीन हड़पो। डकैती डालो। घोटाला करो। गरीबों की हकमारी करो। लंपट बनों। लुच्चा बनो। भीख मांगने वाले से वसूली करो। बहन-बेटी को वैश्या बनाओ। लड़कियों की सरेआम आबरू उतार दो। जुबान से हमेशा गाली बको और आवारागर्दी करो। नशे में रहो, नशे में जियो।
                         तो क्या सोचा आपने। कलयुग की बात मानेंगे। मां-बहन से जिस्मफरोशी का धंधा करवायेंगे। चंद टुकड़ों के लिये भाई की हत्या करेंगे। राह चलते लड़कियों की इज्जत से खेलेंगे। करेंगे दलाली, बनेंगे बलात्कारी। डालेंगे डकैती बोलिये। नहीं, नहीं, नहीं। तो सोच लीजिये। अभी भी समय है आपके पास। इन आदेशों को नहीं मानने का मतलब राज्यादेश का उल्लंघन। सत्ता में बैठे कलयुग का अपमान। सत्ता के कानून को तोडऩे की मिलेगी आपको सजा। अब भी वक्त है सोच लीजिये। अगर तब भी आपका जवाब ना ही है तो तैयार हो जाइये। कालकोठरी आपका इंतजार कर रहा है। कालकोठरी यानी आप कष्ट में रहेंगे। आपकी जिंदगी नरक हो जायेगी। दुखी रहेंगे आप। आपका प्रमोशन रुक जायेगा। दफ्तर में कलयुग की बात मानने वाले आपसे आगे बढ़ जायेंगे। आपके बच्चे सरकारी स्कूल में भी आराम से नहीं पढ़ पायेंगे। ईश्वर को आप सुबह-शाम याद करेंगे। पूजा-पाठ करेंगे। फिर भी आपकी तकदीर नहीं बदलेगी। आपकी फरियाद अनसुनी कर दी जायेगी। आप सच बोलते सूली पर हर रोज खुद को कोसते रहेंगे लेकिन ईश्वर भी आपकी नहीं सुनेगा। आपसे वह भी मुख मोड़ लेगा। कारण, कलयुग का शासन चल रहा है। ईश्वर चाह कर भी अपने भक्तों को कुछ दे नहीं सकते। उनकी भी मजबूरी है। यहां कलयुग का शासन चल रहा है। वही सुखी है और रह सकता है जो कलयुग का कहा माने उसका प्रिय पात्र हो। ऐश वही कर रहा है जो कलयुगी है। आप अपने आस-पड़ोस, समाज में नजर दौड़ाइये, खुद को टटोलिये आप कहां हैं? बेहतर जिंदगी चाहते हैं, शान-शौकत चाहिये तो बस एक बार कलयुग का कहा मान लीजिये।

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