Sunday, May 8, 2011

40 मिनट का शोले


40 मिनट का शोले

पोस्टेड ओन: May,4 2011 जनरल डब्बा में
40 मिनट की यह एक बेहतरीन फुल ऑफ एक्शन, थ्रीलर स्क्रिप्ट है। अमेरिका ने इसे बढिय़ा सिनेमेटोग्राफी तरीके से पेश किया है। इसमें एक नायक है दूसरा सुपरहिट खलनायक। रोमांच, सस्पेंस को बनाये रखने के लिये नायिका भी है जिसे अंत में खलनायक अपनी जिंदगी बचाने के लिये मोहरा बनाता है लेकिन अंत बिल्कुल भारतीय सिनेमा स्टाइल में। खलनायक मारा जाता है और हीरो पूरे विश्व का नायक बन जाता है।मसाले से भरपूर बढिय़ा सोची-समझी सफल पटकथा तैयार की है अमेरिका ने। जिसे पूरे विश्व में एक साथ प्रसारण कर उसने साबित कर दिया कि वह जो चाहेगा, उसकी मर्जी। वो जो परोसेगा वह सच के सिवा कुछ नहीं होगा। महज सोचिये। 40 मिनट का खेल। यानी कुल 2400 सेकेंड का समय। दो हेलीकाप्टर लादेन के मकान पर मंडराते हैं। अमेरिकी सैनिक मकान के छत से नीचे उतरते हैं। मोरचा लेते हैं। लादेन के सुरक्षाकर्मियों से मुठभेड़ होती है। तीन सुरक्षाकर्मी मौत के घाट उतार दिये जाते हैं। लादेन के तीन-चार परिजन मारे जाते हैं। अंदर लादेन को पहले बंधक बनाने की कोशिश। फिर एक महिला को ढ़ाल बनाता बीमार लादेन। इसी बीच कुछ संवाद। अमेरिकी सैनिक लादेन पर गोलियां चलाते हैं। लादेन का शव पड़ा है। बाहर एक हेलीकाप्टर का तेज आवाज के साथ विस्फोट करना। पूरे पटकथा को आगे बढ़ाता। अमेरिकी सैनिक लादेन की तस्वीर लेते हैं। उधर, ओबामा जो पूरे कहानी का नायक है व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम में बैठा सब कुछ लाइव देख रहा है। यानी, सैनिकों के बीच कोई एक है जो कैमरामैन की भूमिका लाइव निभा रहा है। लादेन के शव की पहचान फेशियल रिकॉग्निशन साफ्टवेयर से की जाती है जिसमें बताया जाता है कि वह 95 फीसदी लादेन ही है। इसके बाद शव का डीएनए टेस्ट होता है। फिर, उस सैनिकों में से कोई एक चिकित्सक की भूमिका सरीखे में है। डीएनए का सेम्पुल अमेरिका पहुंचता है। लादेन की बहन की डीएनए से उसकी मैच करायी जाती है और तब कहा जाता है जेरोनिमो ईकेआईए। यानी लादेन मारा जाता है। इसकी पुष्टि होती है। अमेरिकी सैनिक लादेन के शव को ले जाने की तैयारी करते हैं। हेलीकाप्टर आता है। उसपर लादेन के शव को लादा जा रहा है। अंतिम क्रिया के लिये लादेन के शव को नहलाया जा रहा है। सफेद कपड़े में लपेटकर उसे अमेरिकी अधिकारी द्वारा तैयार धार्मिक पंक्तियों जिसे एक स्थानीय वक्ता ने अरबी में अनुवाद किया था, का पाठ कर एक पटरी समुद्र में उतरता है जिसपर लादेन का शव है। यह सब महज 40 मिनट में। यह सुपरहिट स्क्रिप्ट तैयार किया था ओबामा के सलीम-जावेद ने जिसे आज पूरे विश्व में सराहना हो रही है। लादेन के मरने का पूरा तामझाम प्रचार के साथ दुनिया के टेलीविजनों पर प्रसारण चल रहा है। अमेरिका खुद की पीठ थपथपाता भले ही नजर आ रहा हो लेकिन दर्शकों को इसकी दादागिरी पच, हजम नहीं हो रही। आखिर माना कि वह सर्वशक्तिमान है। उन्नत तकनीक से वह लैस है। लेकिन समय की रफ्तार को पकडऩे की हिम्मत, थामने की ताकत उसके पास न था न कभी होगा। उसने 40 मिनट की एक कहानी बना ली आपरेशन लादेन। क्या 40 मिनट में यह सब कुछ संभव है? सोचिये, ओबामा प्रशासन को पहले से ही भान था कि वह मुसलमानों की नाराजगी झेल सकता है। जिंदा पकड़कर लादेन को वह बड़ी मुसीबत मोल नहीं लेना चाहता था। मुठभेड़ में मौत दिखला नहीं सकता था। कारण, जो लादेन वर्षों से डायलिसिस पर पड़ा हो वह भला बंदूक क्या थामता। लिहाजा, एक महिला को सामने लाकर उसे लादेन की नायिका यानी बीवी बताकर अमेरिका ने एक चाल चली। जो अमेरिका शक्ति से भरपूर शक्तिशाली है। जिसे विश्व मानवाधिकार की चिंता नहीं। दूसरे यानी पाक की संप्रभुता की जिसे परवाह नहीं। जो कानून को तोडऩा जानता हो। उसके सामने कमजोर, लाचार चारों ओर से सैनिकों से घिरे लादेन की बीवी क्या चीज थी जिसे दूर पटका नहीं जा सका और लादेन को जिंदा पकड़कर विश्व के सामने लाने की अमेरिका जोखिम नहीं उठा सका। साफ है, यह तो स्क्रिप्ट का हिस्सा था नहीं। पटकथा के मुताबिक पूरा पाक शांति की आगोश में सोया रहेगा और खलनायक के सिर में गोली मार दी जायेगी। कहीं ऐसा तो नहीं कि लादेन पहले ही मारा जा चुका हो और अमेरिका उसे एक मई को घोषित कर रहा हो, कारण एक मई की तारीख अमेरिका ने दुश्मनों के लिये मुकर्रर कर रखी है। अब तक अमेरिका कई सुपरहिट कारनामें एक मई को कर चुका है। उसका असली दुश्मन हिटलर भी उसी दिन मारा गया था। एक प्रश्न, आखिर लादेन कितनी बार मरेगा। इससे पहले भी वह मारा जा चुका है। पाक ने इसकी पुष्टि भी की है। आज उसी पाक को लोग आतंकी पोषक के रूप में देख रहे हैं। सोचनीय है कि पाक अमेरिका के हाथों गिरवी है। अमेरिकी कर्ज में आकंठ उसके पास बोलने के लिये शब्द कहां से आये। वह मौन खड़ा है। जरदारी, रहमानी सबके सब चुप, खामोश हैं। भला इस स्क्रिप्ट में उन्हें जो भूमिका निर्माता, निर्देशक ने तय की है उसे वो दोनों निभा रहे हैं। अब पाक को मौत की सजा मिले या रहम की फिर भीख वो सब कुछ कबूल करेगा। सोचने का काम तो भारत के जिम्मे हैं। एक कसाब को पाल ही रखा है और भी कोई जख्म मिले उसे भी वह सह लेगा खुशी-खुशी अपनों की जान गंवाकर।
Rate this Article:
3 votes, average: 5.00 out of 53 votes, average: 5.00 out of 53 votes, average: 5.00 out of 53 votes, average: 5.00 out of 53 votes, average: 5.00 out of 5 (3 votes, average: 5.00 out of 5, rated)
16 प्रतिक्रिया
  • SocialTwist Tell-a-Friend
Similar articles : No post found
Post a Comment

नवीनतम प्रतिक्रियाएंLatest Comments

वाहिद काशीवासी के द्वारा
May 5, 2011
मनोरंजन जी,
यह पूरा विषय शुरुआत से ही विवादित और विवादास्पद रहा है और उसका कोई अंत होता यहाँ भी नहीं दिख रहा|देश के आक्रमणकारियों को दण्ड दिलाने की आपकी अंतिम चार पंक्तियों से मैं पूरी तरह से इत्तेफ़ाक़ रखता हूँ| इस देश की राजनीति, कूटनीति के साथ ही संविधान में भी परिवर्तन किये जाने की आवश्यकता है|
साभार,
    manoranjan thakur के द्वारा
    May 5, 2011
    श्री वहिदजी सही कहा है संविधान में भी परिवर्तन किये जाने की आवश्यकता है| धन्यवाद
subrat के द्वारा
May 4, 2011
very intresting post
lot of thanks
    manoranjan thakur के द्वारा
    May 4, 2011
    thanks for comment
Aditi के द्वारा
May 4, 2011
bahut hi sarahniya aalekh
thanks
    manoranjan thakur के द्वारा
    May 4, 2011
    बहुत थैंक्स
sonali के द्वारा
May 4, 2011
मनोरंजंजी
लेखनी मे बहुत दम है
सुभकामना
ritesh के द्वारा
May 4, 2011
बहुत सटीक लिखा है बधाई
baijnathpandey के द्वारा
May 4, 2011
आदरणीय श्री मनोरंजन जी
आपकी ये ४० मिनट की शोले हमें तो बहुत पसंद आई |
बढ़िया आलेख | बधाई |
    manoranjan thakur के द्वारा
    May 4, 2011
    श्री पांडेयजी रचना पसंद आने के लिय धन्यवाद
rahulpriyadarshi के द्वारा
May 4, 2011
पाक तो पाक ही है,उससे क्या उम्मीद करनी,अमेरिका भी कुछ कम नहीं है,किन्तु जो भी हो दुर्दांत मारा गया,यह भरोसा हुआ की आतंकवाद का अंत तय है,उम्मीद है हमारे भाग्य-विधाता भी इससे सार्थक सीख लेंगे और अपराधियों के प्रत्यर्पण की भीख मांगना पाकिस्तान से अब बंद करेंगे,बहुत ही अच्छी पोस्ट,धन्यवाद.
    manoranjan thakur के द्वारा
    May 4, 2011
    श्री राहुल जी सही कहा है आप ने सुक्रिया
abodhbaalak के द्वारा
May 4, 2011
भय्या आपने तो ऐसे ज़बरदस्त स्टोरी लिख डाली की , …..
सच कहा आपने की ४० मं में सब खेल ख़त्म पर क्या सच में ….
सराहनीय रचना …
http://abodhbaalak.jagranjunction.com/
    manoranjan thakur के द्वारा
    May 4, 2011
    श्री अबोध्जी ४० मिनट को सराहने के लिय धन्यवाद
abhay के द्वारा
May 4, 2011
sahi kaha hai ye chalish minute me nahi ho sak tha
    manoranjan thakur के द्वारा
    May 4, 2011
    thanks

No comments: