Friday, December 24, 2010

हालात

हालात

·िताबें ढ· गयीं हैं
धूल से
·मरे ·े ·ोने में
म·डिय़ों ने
जाले बुन लिये हैं
चेहरे पर पड़ रही
झुर्रियों ·ो
जब भी
आइने में देखने ·ी ·ोशिश ·ी
रोशनी बुझ गयी
खिड़·ियों पर लगे परदे
फटने लगे
बिस्तर ·ी चादरों से
ढ़·ना पड़ा है जिस्म
नींद
·िसी ·े साथ दूर चली गयी है
बादलों ·ी छटपटाहट से
पानी ·ा ·मरों में टप·ना
बर्तन ·ो लगा दिया है ·ाम पर
क्या
समझौता हो नहीं स·ता हमारा ?
क्या
गलतियों ·ा एहसास हम नहीं ·र स·ते
या
तुम्हें
अभी भी
·ुछ ·हना है... ।

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